Patanjali news: सुप्रिम कोर्ट ने पतंजली को कंटेप्ट नोटिस के रूप मे एक बड़ा झटका दे दिया। सुप्रिम कोर्ट का कहना है की पतंजली को बीमारी ठीक करने वाले विज्ञापनों पर रोक लगानी चाहिए। पंतजली ने 10 जुलाई 2022 के अपने विज्ञापन में एलोपैथी को निशाना बनाते हुए कहा की एलोपैथी गलतफहमिया फैलाती है। इसी के साथ पतंजलि ने खुद की दवाइयों को कोविड वैक्सीन से ज्यादा कारगर बताया था। पहले भी सुप्रिम कोर्ट ने पतंजली के अनैतिक विज्ञापनों पर रोक लगाने की बात कही।
लेकिन कंपनी ने सुप्रिम कोर्ट की बातों को नहीं माना और विज्ञापन करते रहे। कोर्ट का कहना है कि पतंजली लगभग सभी बीमारीयो को ठीक करने का दावा करती है। पर उनके पास इसके किसी प्रकार के ठोस प्रमाण नहीं है। और ठोस प्रमाण के बिना जनता और देश को भ्रम में रखकर पतंजली विज्ञापन नही कर सकता हैं। कोर्ट ने जब सरकार से इस मुद्दे पर बात की और पुछा इस पर क्या कारवाही की गई है तो सरकार ने बताया की अभी तक डेटा इकट्ठे किए जा रहे हैं।
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पतंजली ने कोर्ट के आदेशों का उलंघन किया और सुप्रिम कोर्ट की सुनवाई के अगले ही दिन बाबा रामदेव और पतंजली के CEO बालकृष्ण ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में मधुमेह और अस्थमा जैसी बीमारीयो का जड़ से इलाज केवल पतंजली मे ही बताया हैं। कोर्ट ने इतनी अवहेलना के बाद पतंजली को फटकारते हुए कहा की अब पतंजली पर प्रत्येक झूठे और बिना प्रमाण वाले विज्ञापन पर लगभग 1 करोड़ तक का जुर्माना लग सकता है।
पतंजलि के अंदर कुल 12 कंपनियां है। पतंजलि के बहुत से ऐसे उत्पाद है जो विवादों से गिरे है जैसे पंतजली के आंवला जूस को कैंटीन स्टोर्स डिपार्टमेंट ने अनफिट बताया था जिस कारण इसे बाद मे हटाया गया। इसके साथ पतंजली ने कुछ दवाइयों पर एक महिने आगे की मैन्युफैक्चरिंग डेट लगा दी थी। इसी के साथ पतंजली के आटा नूडल्स को भी लेब टेस्ट नहीं करवाया और FSSAI लाइसेन्स भी नही लिया। इस पूरे मामले की सुनवाई जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ द्वारा की गई। ऐसी नयी नयी खबरो के लिए हमारे साथ जुड़े रहे।
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